स्त्री…
तुम डरते हो हाथ मिलाने से
बेटियों को आगे बढ़ाने से
ना समान दर्जा देते हो
और भेदभाव भी तो करते हो
बेटों को पढ़ने भेजा
बेटी की शिक्षा से इनकार
बेटों के जन्म पर जश्न मना
बेटी को कोख़ में दिया मार
लड़कियों को कमतर कहने वालों
सोच तुम्हारी है लाचार
हर क्षेत्र शक्ति पर नज़र घुमा लो,
लडकियाँ कर रही हर तरफ़ कमाल
अब समझो, नर हो या नारी
दोनों समानता के अधिकारी
ये दुनिया चलेगी तभी सही,
जब दोनों लेंगे ज़िम्मेदारी
ज़ुबां पर शब्द कम पर अर्थ गहन है,
करती हर दायित्व का निर्वहन है
उसे उड़ने दो, उसे बढ़ने दो
वो दृष्टि में नवरंग भरेगी,
वह स्त्री है, सृष्टि ख़ुशहाल करेगी I
द्वारा:
साक्षी दुआ (XI) व शिफाली (XII)
सर्वोदय कन्या विद्यालय मोती नगर
________________________________________________________________________________________________________________सृजन- Our Sahityashala: एक प्रयास है मेरे विद्यार्थियों में हिंदी भाषा के प्रति रुझान बढ़ाने व सृजनात्मक लेखन की ओर उन्मुख करने का । रचनात्मक लेखन इन कोरे मनों को न सिर्फ़ अपने आस-पास के विषयों के प्रति सजग रखेगा वरन विभिन्न विषयों पर एक तर्कशील मत विकसित करने में सहायक होगा। भाषाई दक्षता के साथ-साथ, ‘हिंदी’ को मात्र विषय से ऊपर उठ एक समृद्ध भाषा की तरह देखने का दृष्टिकोण विकसित होगा।
मुझे विश्वास है कि मेरे विद्यार्थी स्वरचित रचनाएँ ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। इस नन्हीं कलमकार का दावा है कि यह रचना स्वरचित है।
Bhaut hi pyaari shaayri
Shabdon ka acha istemaal karna jaante ho tum
Apni bhawnao ko shabdo ke dhaage mein pirohona khoob ata hai aapko
Acha laga hume aapki shyaari padh kar
Achi hai aap ki likhawat
Sachi hai aapki soch
Sachi hai aapki bhawanaaye
🙏🏼🙏🏼