सृजन - Our Sahityashala

मैं वापस लौट के आऊँगा….

झुकाने की लाख कोशिशें की जिस तिरंगे को, उसे फिर से लहराउँगा, अभी के लिए विदा लेता हूँ साथियों मैं वापस लौट के आऊँगा, एक ही तो अभिमान है मेरा न किसी के सामने शीष झुकाऊँगा, तुम ठहरो मेरे देश को छलने वालो, मैं वापस लौट के आऊँगा, बचपन से जवानी तक, बड़ा हुआ शहीद-ए-आज़म […]

सृजन - Our Sahityashala

असहाय चीख़ें…

सिसकियाँ रात की ख़ामोशियों में दब जाती हैं,इज़्ज़त की धज्जियाँ जब खुलेआम उड़ाई जाती हैं।सड़कें सुनसान, पर दिलों में तूफ़ान है,हर कदम पर नारी का खोया हुआ सम्मान है। आँखों में डर और होठों पर मौन है,हर बेटी के दिल में अब यही सवाल है:क्यों मेरे सपनों को कुचला गया?क्यों मेरे अस्तित्व को यूँ रौंदा […]

सृजन - Our Sahityashala

मैं या हम ?

मर्द हूँ मैं, समाज हूँ मैं  पन्ने लिख -लिख इतिहास किया .. औरत हूँ मैं, माँ मैं तेरी,  मैंने ही तुझको वर्तमान दिया.!! मर्द हूँ मैं, समाज हूँ मैं.. पन्ने पढ़ इतिहास रचा..  मैं अड़ा हूँ, मैं लड़ा हूँ, मैं जीता,   मैंने इतना बलिदान दिया..  हाँ! तू लड़ा था, तू मरा था,  तू विजयी हुआ, […]

बच्चों के नाम

सृजन: Our Sahityashala

मैं बारह वर्ष दिल्ली शिक्षा निदेशालय के विद्यालय में पढ़ी और उसके बाद से मेरा अभिभावक संस्थान मुझमें रह रहा है| मेरा भाषा के प्रति रुझान बढ़ाने में इसका अहम योगदान है | हिंदी भाषा के प्रति रुझान का अंकुरण मेरे मन में इसी संस्थान ने किया| फिर आगे इसे पोषित और पल्लवित होने के […]

समीक्षा (Book Review)

BESHARM (बेशर्म)

‘Besharam’ is a non-fiction book by Taslima Nasreen that provides a critical analysis of women’s rights, patriarchy, and the feminist movement in India and Bangladesh. The novel “Besharam” is not a direct sequel of the novel “Lajja,” but it can be seen as a continuation or reflection of certain aspects of “Lajja.” The central character […]

Poetry

मैं स्वयं समुद्र हूँ!

सीपियों की गोद में, बूँद सी सदा पली, नीर को निखारकर, एक नदी में हूँ ढ़ली, उफ़ान में हुंकार हूँ, उतार में झंकार सी, सतह पर उतरी जो मैं, कश्ती कई उबार दी, मोतियों को गर्भ के असीम अंत में रखा, तरंग के उछाल ने वितान शीर्ष भी चखा, सजा दिए, तो बस्तियों के छोर […]

Poetry

प्रेम का संसार….

बारहवाँ रस, सत्रहवाँ शृंगार होना चाहिए, अब कुछ अलग सा प्रेम का संसार होना चाहिए जो सभी ने है सुना, लिख, कह गए शायर सभी, उन कल्पनाओं से इतर, सच-द्वार होना चाहिए,l अब कुछ अलग सा प्रेम का संसार होना चाहिए छरहरा न भी ये तन हो, रूप में लावण्य कम हो, सौंदर्य के प्रतिमानों […]

Article

संवेदनाओं का आचरण

कभी-कभी सोचती हूँ, कहाँ जाते होंगे वे लोग जो जीत नहीं पाते या दुनिया की तरह कहूँ कि जो हार जाते हैं। कितना फ़र्क़ है इन दो बातों में भी। किसी से यह कहना कि ‘तुम जीत नहीं पाए’ और यह कहना कि ‘तुम हार गए हो’। कितना फ़र्क़ लगता है मन की ज़मीन पर […]

Poetry

चाराग़र

साथी सुनो, इंसां हूँ मैं, तुमसा ही हूँ, जुदा नहीं मुझको न तुम लक़ाब दो, मैं कोई ख़ुदा नहीं, जो भी कर रहा हूँ मैं, मेरा महज़ वो कर्म है, दवा में घोल कर दुआ, जीवन बाँटना ही धर्म है, ये है हुनर को आस से बाँधने की बंदगी, थाम करके नब्ज़ को टटोलता हूँ […]

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