Poetry

पूछ रहे हैं राम

राह न मेरी चिह्नित करते, पर के कटने तक न लड़ते, पूछ रहे हैं राम लला हम कैसे जानकी तक बढ़ते?? नहीं वानर वे आगे बढ़ते, परमारथ हित सेतु न गढ़ते, पूछ रहे हैं राम लला हम कैसे लंका में पग धरते?? बातें नीति की न करते, कर्मों में कुल लक्षण भरते, पूछ रहे हैं […]

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संवेदनाओं का आचरण

कभी-कभी सोचती हूँ, कहाँ जाते होंगे वे लोग जो जीत नहीं पाते या दुनिया की तरह कहूँ कि जो हार जाते हैं। कितना फ़र्क़ है इन दो बातों में भी। किसी से यह कहना कि ‘तुम जीत नहीं पाए’ और यह कहना कि ‘तुम हार गए हो’। कितना फ़र्क़ लगता है मन की ज़मीन पर […]

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लैंडमार्क

“अरे यार! कोई लैंडमार्क तो बताओ ना। मैं आसपास ही हूँ गूगल मैप के हिसाब से”- राज ने झल्लाते हुए फ़ोन पर कहा। “इतना चिढ़ कर आना है तो आने का क्या फायदा है”- फ़ोन के दूसरी तरफ़ मौजूद निधि ने रूठे हुए स्वर में जवाब दिया। भनभनाते हुए बोली – “ITC, बंगाल है लैंडमार्क। […]

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चाराग़र

साथी सुनो, इंसां हूँ मैं, तुमसा ही हूँ, जुदा नहीं मुझको न तुम लक़ाब दो, मैं कोई ख़ुदा नहीं, जो भी कर रहा हूँ मैं, मेरा महज़ वो कर्म है, दवा में घोल कर दुआ, जीवन बाँटना ही धर्म है, ये है हुनर को आस से बाँधने की बंदगी, थाम करके नब्ज़ को टटोलता हूँ […]

Poetry

जीवनशास्त्र….

व्यंजना के आदि पथ में, लक्षणा से इस जगत में, सर्वदा मैं एक अभिधा, सी सरीखी रह गयी। न मिले उपमान जब तो कल्पना में शब्द गूँथे, भाव सारे कल्पना के, घोल रस में कह गयी। सर्वदा मैं एक अभिधा, सी सरीखी रह गयी। था खोज में प्रसाद शामिल, निज में मधुरिम से गयी मिल, […]

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