राह न मेरी चिह्नित करते, पर के कटने तक न लड़ते, पूछ रहे हैं राम लला हम कैसे जानकी तक बढ़ते?? नहीं वानर वे आगे बढ़ते, परमारथ हित सेतु न गढ़ते, पूछ रहे हैं राम लला हम कैसे लंका में पग धरते?? बातें नीति की न करते, कर्मों में कुल लक्षण भरते, पूछ रहे हैं […]

Write, Read, Illustrate, To Educate
राह न मेरी चिह्नित करते, पर के कटने तक न लड़ते, पूछ रहे हैं राम लला हम कैसे जानकी तक बढ़ते?? नहीं वानर वे आगे बढ़ते, परमारथ हित सेतु न गढ़ते, पूछ रहे हैं राम लला हम कैसे लंका में पग धरते?? बातें नीति की न करते, कर्मों में कुल लक्षण भरते, पूछ रहे हैं […]
कभी-कभी सोचती हूँ, कहाँ जाते होंगे वे लोग जो जीत नहीं पाते या दुनिया की तरह कहूँ कि जो हार जाते हैं। कितना फ़र्क़ है इन दो बातों में भी। किसी से यह कहना कि ‘तुम जीत नहीं पाए’ और यह कहना कि ‘तुम हार गए हो’। कितना फ़र्क़ लगता है मन की ज़मीन पर […]
व्यंजना के आदि पथ में, लक्षणा से इस जगत में, सर्वदा मैं एक अभिधा, सी सरीखी रह गयी। न मिले उपमान जब तो कल्पना में शब्द गूँथे, भाव सारे कल्पना के, घोल रस में कह गयी। सर्वदा मैं एक अभिधा, सी सरीखी रह गयी। था खोज में प्रसाद शामिल, निज में मधुरिम से गयी मिल, […]