Poetry

चाराग़र

साथी सुनो, इंसां हूँ मैं, तुमसा ही हूँ, जुदा नहीं मुझको न तुम लक़ाब दो, मैं कोई ख़ुदा नहीं, जो भी कर रहा हूँ मैं, मेरा महज़ वो कर्म है, दवा में घोल कर दुआ, जीवन बाँटना ही धर्म है, ये है हुनर को आस से बाँधने की बंदगी, थाम करके नब्ज़ को टटोलता हूँ […]

Poetry

जीवनशास्त्र….

व्यंजना के आदि पथ में, लक्षणा से इस जगत में, सर्वदा मैं एक अभिधा, सी सरीखी रह गयी। न मिले उपमान जब तो कल्पना में शब्द गूँथे, भाव सारे कल्पना के, घोल रस में कह गयी। सर्वदा मैं एक अभिधा, सी सरीखी रह गयी। था खोज में प्रसाद शामिल, निज में मधुरिम से गयी मिल, […]

अनुवाद (Translated Poem)

मैं फिर भी उड़ूँगी!

तुम कर सकते हो मुझे इतिहास में दर्ज़ अपने कडवे, मनगढ़ंत झूठ के साथ तुम मिला सकते हो मुझे धूल में फिर भी, उसी धूल की तरह, मैं उड़ूँगी। क्या मेरी जीवंतता तुम्हें उदास करती है? तुम क्यों इतनी घोर निराशा से भरे जाते हो? इसलिए कि मैं ऐसे जीती हूँ जैसे हूँ तमाम अभावों […]

अनुवाद (Translated Poem)

क्योंकि मैं मृत्यु के लिए नहीं रुक सकी

क्योंकि मैं मृत्यु के लिए नहीं रुक सकी परन्तु वह, मेरी प्रतीक्षा में रुका उसकी सवारी थे केवल हम और अमरता बड़ी ही सहजता से चले थे हम उसके स्वभाव में कोई हड़बड़ाहट नहीं थी मैंने भी उसकी ख़ातिर तुरन्त ही सब छोड़ दिया अपनी व्यस्तताएँ भी और इत्मिनान भी अपने सफ़र में हम स्कूली […]

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बिखराव

बीज ने, चीरा है खुद को तब कहीं अंकुर बना है मृदा ने, चीरा है खुद को तब कहीं पौधा जना है। . लौ ने, चीरा है हवा को, तब कहीं उजाला हुआ है उजाले ने, चीरा अंधेरा तब कहीं सवेरा हुआ है । . व्योम ने, चीरा है दामन तब कहीं द्युति चमचमाई द्युति […]

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विदा

मुझे हमेशा लगता है आँखो में नमी और सुकून की कमी छुपाते हुए जो हाथ मज़बूती से सूटकेस को थाम कर चढ़ते हैं किसी रेलगाड़ी में या उड़ते हैं हवाई जहाज में वो हाथ उस वक़्त अलविदा में हिलते हाथों से कहीं ज़्यादा कमज़ोर होते हैं . . बस उनका काँपना होता है भीतर की […]

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