झंझावातों से डाल पर जो टिक न पाए हों, दामन में जिनके लाख काँटों के साए हों, और भाग में लहराते गेसू न आए हों, सफ़हों के आवरण भी जिसने न पाए हों, उस ग़ुल ने आदम को यह हुनर सिखाया है, झरकर भी महकते रहो यह इल्म कराया है। -Nikki Mahar गेसू: बाल / […]

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बारहवाँ रस, सत्रहवाँ शृंगार होना चाहिए, अब कुछ अलग सा प्रेम का संसार होना चाहिए जो सभी ने है सुना, लिख, कह गए शायर सभी, उन कल्पनाओं से इतर, सच-द्वार होना चाहिए,l अब कुछ अलग सा प्रेम का संसार होना चाहिए छरहरा न भी ये तन हो, रूप में लावण्य कम हो, सौंदर्य के प्रतिमानों […]
राह न मेरी चिह्नित करते, पर के कटने तक न लड़ते, पूछ रहे हैं राम लला हम कैसे जानकी तक बढ़ते?? नहीं वानर वे आगे बढ़ते, परमारथ हित सेतु न गढ़ते, पूछ रहे हैं राम लला हम कैसे लंका में पग धरते?? बातें नीति की न करते, कर्मों में कुल लक्षण भरते, पूछ रहे हैं […]
कभी-कभी सोचती हूँ, कहाँ जाते होंगे वे लोग जो जीत नहीं पाते या दुनिया की तरह कहूँ कि जो हार जाते हैं। कितना फ़र्क़ है इन दो बातों में भी। किसी से यह कहना कि ‘तुम जीत नहीं पाए’ और यह कहना कि ‘तुम हार गए हो’। कितना फ़र्क़ लगता है मन की ज़मीन पर […]