Poetry

सार….

समर्पण बना ‘मीरा’, प्रेम को राधा किया, क़द्र ‘रूखमणी’ की; फिर भी कर न सका है ।1। अहसास ‘वृंदावन’ रहे, उम्मीद ‘द्वारिका’ हुई, पीड़ा ‘बरसाने’ की; फिर भी हर न सका है ।2। कोख़ पावन ‘देवकी’ बनी, परवरिश ‘यशोदा’ हुई, वत्सल विरह ‘घाव’; फिर भी भर न सका है ।3। बोध श्रेष्ठ ‘श्लोक’ थे, ज्ञान […]

शजर शृंखला

शजर-3

किसी शजर की जड़ का पानी, और आदम की साँस रवानी, ख़ुद पर बीती, तब ये जाना अलग नहीं दोनों के मानी । . जैसे गिरे शजर की शाखें, तेज़ धार तलवारों से, वैसे लफ्ज़ गिरें मौन में रूखे रुसवा व्यवहारों से। . जैसे डाल के पत्ते झरते, बीत चुकी बहारों से, वैसे अक्सर मन […]

शजर शृंखला

शजर-2

वक़्त गुज़रा ज़िंदगी चली बेबसी के आगे उम्मीदें ढली आँसू झर गए, शब्द मर गए रंग भी उड़ा, रौनक गई शाखों ने दिशा चुन ली नई झिंझड गए, सिहर गए फ़ीकी पड़ी हरियाली जब सूखकर, बिखर गए, बढ़ने से पर रुके नहीं टूटे  थे पर झुके नहीं, जब परिधियाँ ईंट की, दीवार बन घेरे रहीं […]

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भोर और तुम

भोर भए सूरज सी उगना, हर सिम्त ख़ुदी में जगमग दिखना, आकाश न भी सिमटे मुट्ठी में, बनकर के उजाला रोशन दिखना। किरणों को अपनी सखी बनाना, नूर हर इक कोने तक लाना, फूलों को देकर के उजाले, खुद में उनका खिलना रखना। जब घुले हवा में तेरे उजाले, पंछी भी परवाज़ संभाले, देख के […]

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रंग…..

रंगों से परहेज़ नहीं है, ग़लत रंग के रंगने से है….. श्याम सलोने भाते सबको, काले बाल सुहाते सबको, घिरकर काले बादल ने ही, धरती का सूखा है मिटाया, काजल ने नैनों में पड़कर है उनका सौंदर्य बढ़ाया रात अंधेरी जब आयी है, एक सुबह भी संग लायी है, पर यह काला रंग उतर नज़र […]

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इबादत

जब भी हमने भरी उड़ानेंपत्थर हमपर भी उछले थे,जितने आए पत्थर ऊपरउतने अपने पंख खुले थे,नज़रे हमने रखीं सदा ही,सीमा पार वितानों के,फिर तो कोई निशां न छूटा,धरती से पड़े निशानों के, जबसे नील गगन में फैलेपरों ने अपने गश्त लगाई,कभी आँधी, कभी तूफ़ां बनकर,अनगिन मुश्किल उनपर आई,कभी घनेरी बदली छाई,और अंधियारा लेकर आई,परों ने […]

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