वक़्त गुज़रा ज़िंदगी चली बेबसी के आगे उम्मीदें ढली आँसू झर गए, शब्द मर गए रंग भी उड़ा, रौनक गई शाखों ने दिशा चुन ली नई झिंझड गए, सिहर गए फ़ीकी पड़ी हरियाली जब सूखकर, बिखर गए, बढ़ने से पर रुके नहीं टूटे थे पर झुके नहीं, जब परिधियाँ ईंट की, दीवार बन घेरे रहीं […]
