सृजन - Our Sahityashala

भरा पड़ा इतिहास हमारा,वीरों के बलिदानों से।

शत्रु सीमा लांघ ना पाए,हैं वीर खड़े चट्टानों से।भरा पड़ा इतिहास हमारा,वीरों के बलिदानों से।शीश झुका ना कभी हमारा,लड़कर वतन बचाया है,वीरकथा सी माटी कर दी,कर उत्सर्ग जवानों नेभरा पड़ा इतिहास हमारा,वीरों के बलिदानों से।मिलती वर्दी जिनको है,वो किस्मत वाले होते हैं।वे सीमा पर जाग रहेतब चैन से हम घर सोते हैंप्रेम इन्हें हर भारतवासी […]

सृजन - Our Sahityashala

मैं वापस लौट के आऊँगा….

झुकाने की लाख कोशिशें की जिस तिरंगे को, उसे फिर से लहराउँगा, अभी के लिए विदा लेता हूँ साथियों मैं वापस लौट के आऊँगा, एक ही तो अभिमान है मेरा न किसी के सामने शीष झुकाऊँगा, तुम ठहरो मेरे देश को छलने वालो, मैं वापस लौट के आऊँगा, बचपन से जवानी तक, बड़ा हुआ शहीद-ए-आज़म […]

सृजन - Our Sahityashala

असहाय चीख़ें…

सिसकियाँ रात की ख़ामोशियों में दब जाती हैं,इज़्ज़त की धज्जियाँ जब खुलेआम उड़ाई जाती हैं।सड़कें सुनसान, पर दिलों में तूफ़ान है,हर कदम पर नारी का खोया हुआ सम्मान है। आँखों में डर और होठों पर मौन है,हर बेटी के दिल में अब यही सवाल है:क्यों मेरे सपनों को कुचला गया?क्यों मेरे अस्तित्व को यूँ रौंदा […]

सृजन - Our Sahityashala

मैं या हम ?

मर्द हूँ मैं, समाज हूँ मैं  पन्ने लिख -लिख इतिहास किया .. औरत हूँ मैं, माँ मैं तेरी,  मैंने ही तुझको वर्तमान दिया.!! मर्द हूँ मैं, समाज हूँ मैं.. पन्ने पढ़ इतिहास रचा..  मैं अड़ा हूँ, मैं लड़ा हूँ, मैं जीता,   मैंने इतना बलिदान दिया..  हाँ! तू लड़ा था, तू मरा था,  तू विजयी हुआ, […]

बच्चों के नाम

सृजन: Our Sahityashala

मैं बारह वर्ष दिल्ली शिक्षा निदेशालय के विद्यालय में पढ़ी और उसके बाद से मेरा अभिभावक संस्थान मुझमें रह रहा है| मेरा भाषा के प्रति रुझान बढ़ाने में इसका अहम योगदान है | हिंदी भाषा के प्रति रुझान का अंकुरण मेरे मन में इसी संस्थान ने किया| फिर आगे इसे पोषित और पल्लवित होने के […]

Poetry

पढ़ो

जब रिक्त हो अंतस तक कोई जन,और भीतर तक भरना चाहे मन,तब केवल एक तरीका हो,पढ़ डालो लिखा सरीखा जो,नज़रों के पोरों से छू लो,पन्नों पर लिखे कथानक को,फिर अक्षर दर अक्षर खोलो,हर कथा के किरदारों का ज़हन……. तुम पढ़ो कि तुम भी जान सको,किस अनहोनी पर शर्मिंदा हैं,इसलिए पढ़ो कि जान सको,किनके बलिदान से […]

Poetry

मैं स्वयं समुद्र हूँ!

सीपियों की गोद में, बूँद सी सदा पली, नीर को निखारकर, एक नदी में हूँ ढ़ली, उफ़ान में हुंकार हूँ, उतार में झंकार सी, सतह पर उतरी जो मैं, कश्ती कई उबार दी, मोतियों को गर्भ के असीम अंत में रखा, तरंग के उछाल ने वितान शीर्ष भी चखा, सजा दिए, तो बस्तियों के छोर […]

Quotes

इल्म

झंझावातों से डाल पर जो टिक न पाए हों, दामन में जिनके लाख काँटों के साए हों, और भाग में लहराते गेसू न आए हों, सफ़हों के आवरण भी जिसने न पाए हों, उस ग़ुल ने आदम को यह हुनर सिखाया है, झरकर भी महकते रहो यह इल्म कराया है। -Nikki Mahar गेसू: बाल / […]

Poetry

प्रेम का संसार….

बारहवाँ रस, सत्रहवाँ शृंगार होना चाहिए, अब कुछ अलग सा प्रेम का संसार होना चाहिए जो सभी ने है सुना, लिख, कह गए शायर सभी, उन कल्पनाओं से इतर, सच-द्वार होना चाहिए,l अब कुछ अलग सा प्रेम का संसार होना चाहिए छरहरा न भी ये तन हो, रूप में लावण्य कम हो, सौंदर्य के प्रतिमानों […]

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बुनावट

कहानियाँ लिख नहीं पाती इसलिए क़िस्से लिखने की कोशिश करती हूँ। निराशा के अनुभवों से उपजे सवालों के जवाब जब आसपास मिलें तो समझना आसान नहीं होता पर ज़रूरी होता है। अमूमन, उदासी और दर्द से घिरे इंसान से हम यही कहते हैं कि जो भी मुश्किल है उसके हल की ओर ध्यान दो। हो […]

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