शजर शृंखला

शजर-6

राहों पे मिलते शजर ने कहा है, जाना यूँ तेरा, क्या अलविदा है? फिर मेरे लबों की तबस्सुम ने बोला, मौन ने मन की बातों को खोला, तेरी जड़ों से बनकर, डालों पे पली हूँ, बयारों के संग संग पत्तों सी चली हूँ, तूने ही मुझको खिलाया गुलों सा, तेरे नूर से ही बहारे हैं […]

Quotes

क़फ़स

जिस परिंदे ने किया तय, क्षितिज छू कर लौट आना, कितनी उसमें कैफ़ियत थी, क़फ़स में किसने ये जाना? © Nikki Mahar | Writeside

Poetry

इबादत

जब भी हमने भरी उड़ानेंपत्थर हमपर भी उछले थे,जितने आए पत्थर ऊपरउतने अपने पंख खुले थे,नज़रे हमने रखीं सदा ही,सीमा पार वितानों के,फिर तो कोई निशां न छूटा,धरती से पड़े निशानों के, जबसे नील गगन में फैलेपरों ने अपने गश्त लगाई,कभी आँधी, कभी तूफ़ां बनकर,अनगिन मुश्किल उनपर आई,कभी घनेरी बदली छाई,और अंधियारा लेकर आई,परों ने […]

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