Poetry

चाराग़र

साथी सुनो, इंसां हूँ मैं, तुमसा ही हूँ, जुदा नहीं मुझको न तुम लक़ाब दो, मैं कोई ख़ुदा नहीं, जो भी कर रहा हूँ मैं, मेरा महज़ वो कर्म है, दवा में घोल कर दुआ, जीवन बाँटना ही धर्म है, ये है हुनर को आस से बाँधने की बंदगी, थाम करके नब्ज़ को टटोलता हूँ […]

अनुवाद (Translated Poem)

मैं फिर भी उड़ूँगी!

तुम कर सकते हो मुझे इतिहास में दर्ज़ अपने कडवे, मनगढ़ंत झूठ के साथ तुम मिला सकते हो मुझे धूल में फिर भी, उसी धूल की तरह, मैं उड़ूँगी। क्या मेरी जीवंतता तुम्हें उदास करती है? तुम क्यों इतनी घोर निराशा से भरे जाते हो? इसलिए कि मैं ऐसे जीती हूँ जैसे हूँ तमाम अभावों […]

अनुवाद (Translated Poem)

क्योंकि मैं मृत्यु के लिए नहीं रुक सकी

क्योंकि मैं मृत्यु के लिए नहीं रुक सकी परन्तु वह, मेरी प्रतीक्षा में रुका उसकी सवारी थे केवल हम और अमरता बड़ी ही सहजता से चले थे हम उसके स्वभाव में कोई हड़बड़ाहट नहीं थी मैंने भी उसकी ख़ातिर तुरन्त ही सब छोड़ दिया अपनी व्यस्तताएँ भी और इत्मिनान भी अपने सफ़र में हम स्कूली […]

Article

आहत ख़त बेनाम पते पर।

ज़रा लंबी विषय वस्तु है इत्मीनान से पढ़ियेगा। मैं उस वर्ग का हिस्सा नहीं हूँ पर मुझे ‘मैं’ रूप में स्थापित करने में इस वर्ग के विभिन्न लोगों ने अनेक रिश्तों के रूप में मेरी मदद की है। बस ये एक उलझन जो मैं महसूस कर पाई हूँ अपने साथी वर्ग की। _______________________________________________________________________________________________________________ माना मेरे […]

शजर शृंखला

शजर-6

राहों पे मिलते शजर ने कहा है, जाना यूँ तेरा, क्या अलविदा है? फिर मेरे लबों की तबस्सुम ने बोला, मौन ने मन की बातों को खोला, तेरी जड़ों से बनकर, डालों पे पली हूँ, बयारों के संग संग पत्तों सी चली हूँ, तूने ही मुझको खिलाया गुलों सा, तेरे नूर से ही बहारे हैं […]

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