सृजन - Our Sahityashala

बिटिया..

नाज़ों से पाला जिस बेटी को,

उसी को हमसे छीन लिया,

मेहनत से था जिसे पढ़ाया,

उसी को हमसे दूर किया।

पापा, मैं घर आऊँगी जल्दी,

उसने कहा था प्यार से,

पर वो लौटकर कभी न आई,

घर में सन्नाटा बस गया था तब से।

जिनके जीने की वजह वही बेटी थी,

तुमने उनसे जीने की वजह ही छीन ली।

खो चुकी थी वह और भुला दिया,

सच की आवाज़ को दबा दिया।

हर पल दिल में ये सवाल उठता,

कि हमारी गलती आख़िर क्या थी?

जिसे नाज़ों से पाला, ऊँचाइयों तक पहुँचाया,

उसी बेटी को हमसे छीन लिया।

द्वारा-

प्राची नेगी (XI)

सर्वोदय कन्या विद्यालय मोती नगर

________________________________________________________________________________________________________________सृजन- Our Sahityashala: एक प्रयास है मेरे विद्यार्थियों में हिंदी भाषा के प्रति रुझान बढ़ाने व सृजनात्मक लेखन की ओर उन्मुख करने का । रचनात्मक लेखन इन कोरे मनों को न सिर्फ़ अपने आस-पास के विषयों के प्रति सजग रखेगा वरन विभिन्न विषयों पर एक तर्कशील मत विकसित करने में सहायक होगा। भाषाई दक्षता के साथ-साथ, ‘हिंदी’ को मात्र विषय से ऊपर उठ एक समृद्ध भाषा की तरह देखने का दृष्टिकोण विकसित होगा।

मुझे विश्वास है कि मेरे विद्यार्थी स्वरचित रचनाएँ ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। इस नन्हीं कलमकार का दावा है कि यह रचना स्वरचित है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!