भरा पड़ा इतिहास हमारा,वीरों के बलिदानों से।
शत्रु सीमा लांघ ना पाए,
हैं वीर खड़े चट्टानों से।
भरा पड़ा इतिहास हमारा,
वीरों के बलिदानों से।
शीश झुका ना कभी हमारा,
लड़कर वतन बचाया है,
वीरकथा सी माटी कर दी,
कर उत्सर्ग जवानों ने
भरा पड़ा इतिहास हमारा,
वीरों के बलिदानों से।
मिलती वर्दी जिनको है,
वो किस्मत वाले होते हैं।
वे सीमा पर जाग रहे
तब चैन से हम घर सोते हैं
प्रेम इन्हें हर भारतवासी से
ऊपर उठें जाने-अनजानों से
भरा पड़ा इतिहास हमारा,
वीरों के बलिदानों से।
उस वीर का स्मरण कराती हूँ
जिस जसवंत ने चीन को रोका था,
जो डटे रहे और हटे नहीं,
बढे वीरगति को शानों से
भरा पड़ा इतिहास हमारा,
वीरों के बलिदानों से।
गढ़वाल वीर की यह गाथा,
हर दिल में जोश जगाती है,
जसवंत सिंह की शौर्य कथा
बैरी को सदा कंपाती है
भूल न जाना त्याग तुम उनका,
जो खेल गए हैं जानों पे,
भरा पड़ा इतिहास हमारा,
वीरों के बलिदानों से।
नाम अमर हैं इन वीरों के,
माटी के कण कण में बसते हैं
वीर देश के ख़ातिर लड़कर,
इतिहास अनोखे रचते हैं।
सदा प्रेरणा लेना इनसे और
हो सम्मान सदा इन मानों के
भरा पड़ा इतिहास हमारा,
वीरों के बलिदानों से।
अब विराम है कविता को,
बस यही याद दिलाने आती हूँ।
है जिनके रक्त से सिंचा देश,
कभी न उनको न बिसराना,
यही विनती करके जाती हूँ
अब यह देश हमें बचाना है,
दुश्मन के हर एक निशानों से,
भरा पड़ा इतिहास हमारा,
वीरों के बलिदानों से।
द्वारा-
प्राची नेगी (XII)
सर्वोदय कन्या विद्यालय मोती नगर
________________________________________________________________________________________________________________सृजन- Our Sahityashala: एक प्रयास है विद्यार्थियों में हिंदी भाषा के प्रति रुझान बढ़ाने व सृजनात्मक लेखन की ओर उन्मुख करने का । रचनात्मक लेखन इन कोरे मनों को न सिर्फ़ अपने आस-पास के विषयों के प्रति सजग रखेगा वरन विभिन्न विषयों पर एक तर्कशील मत विकसित करने में सहायक होगा। भाषाई दक्षता के साथ-साथ, ‘हिंदी’ को मात्र विषय से ऊपर उठ एक समृद्ध भाषा की तरह देखने का दृष्टिकोण विकसित होगा।
मुझे विश्वास है कि विद्यार्थी स्वरचित रचनाएँ ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। इस नन्हे कलमकार का दावा है कि यह रचना स्वरचित है।