IKIGAI (इकिगाई)
ऐसा तो कुछ नहीं जो साधारण परिवार में जन्में बच्चे अपने माता-पिता से या सम्पर्क में आए किसी अपने से न सुन पाया हो। हाँ, लेकिन जैसे पहनावे, भाषा, व्यवहार आदि विषयों में एक फ़ॉर्मल तरीका होता है, इस किताब में उन्हीं सारी बातों, विचारों, आदतों, तरीकों को पर्यवेक्षण के साक्ष्यों के आधार पर भाषा के फ़ॉर्मल (औपचारिक) साँचें में ढ़ालकर प्रस्तुत किया गया है। सर्वविदित है कि मानव का संज्ञान दृश्य बोध से अधिक सुदृढ़ होता है (श्रवण व पठन की अपेक्षा) इसीलिए इस किताब के सार से संबंधित बिंदुओं को आरेखीय विश्लेषण से प्रस्तुत किया गया है। इकिगाई किताब की मूल भाषा स्पेनिश थी, जिसे Urano Publishers ने सन् 2016 में ‘Ikigai: Los secretos de Japón para una vida larga y feliz’ शीर्षक से प्रकाशित किया था। इसका अंग्रेज़ी अनुवाद अमेरिका के Penguin Random House ने 2017 में प्रकाशित किया और हिंदी अनुवाद 2018 में Westland Publications लाया।
अब बात करते हैं केंद्रीय समीक्षा की। किताब IKIGAI: The Japanese Secret to a Long and Happy Life को लिखा है Hector Garcia और Francesc Miralles ने, जिसमें इन दोनों लेखकों ने जापानी संस्कृति में प्रसिद्ध ‘इकिगाई’ की अवधारणा का सरलीकरण करने का सफल और शानदार प्रयास किया है। ‘इकिगाई’ जापानी भाषा का एक शब्द है जिसका सबसे सटीक अर्थ होगा ‘जीवन का उद्देश्य’।
Okinawa, जापान के शीर्ष पाँच “ब्लू ज़ोन” में से एक है – जहाँ लोग सबसे लंबे समय तक जीवित रहते हैं और स्वस्थ रहते हैं। दोनों लेखकों ने इस किताब के तथ्यों और तर्कों को Okinawa, Japan के लोगों से हुई बातचीत और उनके खुशहाल व लंबे जीवन के कारणों पर चर्चा (सर्वेक्षण) के आधार पर लिखा है ।
चार भागों में विभाजित इस पुस्तक में ‘इकिगाई’ की अवधारणा और जीवन से उसके जुड़ाव/ आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया गया है। चारों भाग एक निर्धारित लक्ष्य को साधते हैं और संपूर्ण पुस्तक जीवन में एक उद्देश्य का महत्व, स्वस्थ खान-पान और मजबूत सामाजिक रिश्तों जैसे लंबी और स्वस्थ ज़िंदगी के अनुभवों को खोजती नज़र आती है।
पहला भाग इकिगाई के अर्थ व अवधारणा को समझाता है और जापानी संस्कृति में इसके महत्व को उजागर करता है। दूसरा भाग अपने इकिगाई को खोजने में मदद करने वाले तरीकों, विचारों व उदाहरणों पर पाठक का ध्यान लाता है। तीसरा भाग पाठक को उसके कार्यों को इकिगाई से मेल करके एक भरपूर जीवन जीने के लिए उत्साहित करता है। अंत में, चौथा भाग अपने इकिगाई से जुड सकने वाले तरीकों से पाठकों को अवगत करता है।
सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें लेखक ने अपने ही विचारों को पाठकों पर थोपा नहीं है। वह Okinawa के लोगों से हुई बातचीत और उनके तौर तरीकों के आधार पर इकिगाई तक पहुँचने तक की राह को रोशन करते हैं। अनेक विचार, अनेक अनुभव और अनेक तरीके पर लक्ष्य एक ‘इकिगाई’! पहले ही अंश में पाठकों के मन में जीवन के प्रति कुलबुलाहट पैदा करता एक प्रश्न सामने आता है- “आपके जीवन का क्या उद्देश्य है?
और उठते सवालों के सिरो को थमाया जाता है जवाबों यानि इकिगाई के हाथों में….
इकिगाई क्या है, कैसे मिले, इन सबसे पहले ही किताब यह सामने रख देने में बिल्कुल सफल होती है कि हम सबकी इकिगाई केवल हम जानते हैं, हम चुनते हैं…. …. केवल हम!!
जिसने अपनी इकिगाई समझ ली, चुन ली…….आधी राह तो पार हो गई। अब बस पाने की ओर बढ़े चलो, कुछ भी बोझ न लगेगा, क्योंकि इकिगाई है वो!!!
और एक बात, क्योंकि यह एक नॉन फिक्शन है तो इसमें कहानी या स्टोरीलाइन नहीं है, पर हाँ केंद्र ज़रूर है; और बेहद सार्थक है। यह किताब यूँ तो हर वर्ग के लिए है परंतु ‘व्यक्तिगत विकास’, माइनड़फ़ुलनेस और समृद्ध जीवन में रुचि रखने वाली श्रेणी को लक्ष्य करके चलती है।
तो पढ़िए और सोचिए क्या आप अपनी इकिगाई पहचान पाए हैं ?
लेखक: Héctor García and Francesc Miralles
अनुवादक (अंग्रेज़ी): Heather Cleary
-Nikki Mahar I Writeside