क्योंकि मैं मृत्यु के लिए नहीं रुक सकी
क्योंकि मैं मृत्यु के लिए नहीं रुक सकी
परन्तु वह, मेरी प्रतीक्षा में रुका
उसकी सवारी थे केवल हम और अमरता
बड़ी ही सहजता से चले थे हम
उसके स्वभाव में कोई हड़बड़ाहट नहीं थी
मैंने भी उसकी ख़ातिर तुरन्त ही सब छोड़ दिया
अपनी व्यस्तताएँ भी और इत्मिनान भी
अपने सफ़र में हम स्कूली मैदानों में खेलते, उधम मचाते
बच्चों को देखते हुए गुज़रे
हम गुज़रे लहलहाते खलिहानों के बीच से
जहाँ फ़सलों की लहलहाती निगाहें हम पर पड़ी
अंततः, हम ढलते सूरज के पास से गुज़रे
हम गुज़रे? या वह हमारे नज़दीक से गुज़र गया
ढलते सूरज से मौसम में नमी मिली
जिसमें काँपने लगा मेरा जर्जर तन
जिसका कारण था मेरे लबादों का बेहद झीना होना
यकायक, एक घर के आगे रुकी सवारी हमारी
जो हो रहा था प्रतीत बिल्कुल गंतव्य सा
जिसकी ज़मीन में उभार और सूजन थी
जिसकी छत भी धुंधली नज़र आ रही थी
उस रोज़ से अब तक, सदियाँ गुज़र चुकी हैं
फिर भी लगता है मानो, कल की ही सी बात है
पहली ही नज़र में मैं जान चुकी थी कि
उस सवारी का रुख अनंतता की ओर था।
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Poem: Because I could not stop for Death
Written by : Emily Dickinson
Translated by: Nikki Mahar (Writeside)
Picture: Pinterest
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