झंझावातों से डाल पर जो टिक न पाए हों, दामन में जिनके लाख काँटों के साए हों, और भाग में लहराते गेसू न आए हों, सफ़हों के आवरण भी जिसने न पाए हों, उस ग़ुल ने आदम को यह हुनर सिखाया है, झरकर भी महकते रहो यह इल्म कराया है। -Nikki Mahar गेसू: बाल / […]
हर खाँचे में जो ढ़ल जाए, प्रेम नहीं है, हालातों से बदल जो जाए, प्रेम नहीं है, विरह सोच भर लेने से मुरझाने वाला, ग़र डाल से बिछड़े फूल से निखरा, प्रेम नहीं है।