सृजन: Our Sahityashala
मैं बारह वर्ष दिल्ली शिक्षा निदेशालय के विद्यालय में पढ़ी और उसके बाद से मेरा अभिभावक संस्थान मुझमें रह रहा है| मेरा भाषा के प्रति रुझान बढ़ाने में इसका अहम योगदान है | हिंदी भाषा के प्रति रुझान का अंकुरण मेरे मन में इसी संस्थान ने किया| फिर आगे इसे पोषित और पल्लवित होने के भरपूर अवसर मिले दिल्ली विश्वविद्यालय में | हिंदी भाषा ने मुझे सुकून,लेखन,आजीविका, पहचान और लक्ष्य दिए हैं | शिक्षण में आने पर मेरी कोशिश हमेशा ही अपने बच्चों को इस भाषा से जोड़ने, बेहतर पढ़ने, रचनात्मक होने और मौलिक लिखने की ओर प्रेरित करने की ही रही है| मैंने जिस भी संस्थान में काम किया (निजी विद्यालय,केंद्रीय विद्यालय संगठन और दिल्ली शिक्षा निदेशालय) वहाँ अपने बच्चों को कविताओं से जोड़ने और साहित्य के पास लाने का प्रयास किया है | हमने (मेरे बच्चों और मैंने ) कविताएँ-कहानियाँ पढ़ने,सुनने-सुनाने, साथ में स्क्रिप्ट लिखने, अभिनय करने, लेखन बारीकियाँ समझने,वाद-विवादों में हिस्सा लेने, नुक्कड़ नाटक तैयार करने, विद्यालय पत्रिकाओं के लेखन और संपादन जैसी कितनी ही गतिविधियाँ साथ में की हैं| मेरे बच्चों ने विभिन्न स्तरों पर प्रतियोगिताएँ जीतकर /प्रतिभागिता देकर मेरे भीतर के भाषा शिक्षक को हमेशा गौरवान्वित किया है और हमेशा ही विद्यालय पत्रिकाओं, विभिन्न प्रतियोगिताओं में अक्सर बढ़ चढ़कर भाग लिया है | अब तकनीक की दुनिया के क़रीब आने पर लेखन के प्रति उनका रुझान बरक़रार रखने और साहित्य से उनका नाता बना रहे, इस दिशा में एक छोटा सा प्रयास किया था | आशा है इसे सफलता मिलेगी| यदि मेरा एक विद्यार्थी भी अपने मन को शब्दों में पिरोने से सुकून महसूस करने का हुनर सीख गया तो मेरे लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी | इसी उम्मीद से अपने ब्लॉग पर ‘सृजन- Our Sahityashala’ की शुरुआत की थी जिसपर मेरी छात्राओं की लेखन की ओर बढ़ते नन्हें और मौलिक प्रयासों को स्थान दिया है |
मेरे बच्चों के लिए यह सन्देश है कि अपनी मौलिक हिंदी रचनाएँ (किसी भी विधा में ) DM/ मेल द्वारा आपके नाम और कक्षा सहित भेजें| रचना मौलिक होनी अनिवार्य है | आप जैसा भी लिखें पर कोशिश ईमानदार करें | आप समय के साथ बेहतरी
की ओर बढ़ेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है|
विद्यार्थी अपनी रचनाएँ mailwriteside@gmail.com पर मेल द्वारा या इन्स्टाग्राम हैंडल @Educators_Insights के DM पर भेज सकते हैं|
मेरी आशा व शुभकामना है कि शब्दों और साहित्य की साझेदारियाँ आपके साथ बनीं रहें|
बेहतर पढ़ें, बेहतरीन लिखें! शुभाशीष!
-आपकी टीचर