फ़र्क़
अनुभूति और सहानुभूति के फ़र्क़ से बेख़बर समाज ही
कोमल को कमज़ोर मान लेने की भूल करता है।
© Nikki Mahar | Writeside
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अनुभूति और सहानुभूति के फ़र्क़ से बेख़बर समाज ही
कोमल को कमज़ोर मान लेने की भूल करता है।
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