शत्रु सीमा लांघ ना पाए,हैं वीर खड़े चट्टानों से।भरा पड़ा इतिहास हमारा,वीरों के बलिदानों से।शीश झुका ना कभी हमारा,लड़कर वतन बचाया है,वीरकथा सी माटी कर दी,कर उत्सर्ग जवानों नेभरा पड़ा इतिहास हमारा,वीरों के बलिदानों से।मिलती वर्दी जिनको है,वो किस्मत वाले होते हैं।वे सीमा पर जाग रहेतब चैन से हम घर सोते हैंप्रेम इन्हें हर भारतवासी […]
एक बेटी के बाप का डर उसे रात को सोने नही देता है पढ़ाई से लेकर विदाई के ख़र्चे, और उसके ऊपर दुनिया वालों के चर्चे, ये चिंता , ये असमंजस, उसकी रात ख़त्म होने नहीं देता है | शरीर ने साथ थोड़ा छोड़ा है, कमर ने अपना रुख मोड़ा है, हाथ-पाँव भी अब थकते […]
झुकाने की लाख कोशिशें की जिस तिरंगे को, उसे फिर से लहराउँगा, अभी के लिए विदा लेता हूँ साथियों मैं वापस लौट के आऊँगा, एक ही तो अभिमान है मेरा न किसी के सामने शीष झुकाऊँगा, तुम ठहरो मेरे देश को छलने वालो, मैं वापस लौट के आऊँगा, बचपन से जवानी तक, बड़ा हुआ शहीद-ए-आज़म […]
सिसकियाँ रात की ख़ामोशियों में दब जाती हैं,इज़्ज़त की धज्जियाँ जब खुलेआम उड़ाई जाती हैं।सड़कें सुनसान, पर दिलों में तूफ़ान है,हर कदम पर नारी का खोया हुआ सम्मान है। आँखों में डर और होठों पर मौन है,हर बेटी के दिल में अब यही सवाल है:क्यों मेरे सपनों को कुचला गया?क्यों मेरे अस्तित्व को यूँ रौंदा […]
मर्द हूँ मैं, समाज हूँ मैं पन्ने लिख -लिख इतिहास किया .. औरत हूँ मैं, माँ मैं तेरी, मैंने ही तुझको वर्तमान दिया.!! मर्द हूँ मैं, समाज हूँ मैं.. पन्ने पढ़ इतिहास रचा.. मैं अड़ा हूँ, मैं लड़ा हूँ, मैं जीता, मैंने इतना बलिदान दिया.. हाँ! तू लड़ा था, तू मरा था, तू विजयी हुआ, […]

मैं बारह वर्ष दिल्ली शिक्षा निदेशालय के विद्यालय में पढ़ी और उसके बाद से मेरा अभिभावक संस्थान मुझमें रह रहा है| मेरा भाषा के प्रति रुझान बढ़ाने में इसका अहम योगदान है | हिंदी भाषा के प्रति रुझान का अंकुरण मेरे मन में इसी संस्थान ने किया| फिर आगे इसे पोषित और पल्लवित होने के […]

सालों साल गुज़र गए परन्तु परीक्षाओं का समय हर विद्यार्थी के लिए सामान्य से अलग ही रहता आया है। किसी के लिए डर वाला, किसी के लिए फ़िक्र वाला, किसी के लिए उत्साह वाला, किसी के लिए उम्मीदों वाला और किसी के लिए अनुभव वाला। उसके कारण कई हैं व्यवस्था,समाज,भविष्य, परिवार, सपने इत्यादि।हमने अनेक लेख, […]

मनुष्यों के भीतर असीम स्थान होता है। वह लगभग सबकुछ अपने भीतर ताउम्र रख सकते हैं। जिस पल माँ की कोख़ से निकल किसी अस्पताल के बिस्तर पर आँखें खोलते हैं, तभी से भीतर उन स्थानों को समेटने की कला उसे आ जाती है।अस्पताल के माहौल का अजनबीपन, माँ की गोद की ममता, घर में […]
जो बचाए सबकी जान, कैसे बचेगी उसकी जान?छत्तीस घंटे काम किया, क्या गुनाह था कि आराम किया? तन पर नहीं थे कपड़े छोटे, सफ़ेद कोट से ढकी हुई थी,कैसे नहीं आत्मा झिझकी, जब निर्वस्त्र वह पड़ी हुई थी अब उम्र दोष की बात न करना, चाहे हो 2 महीने की बच्चीया हो 80 साल की […]
तुम डरते हो हाथ मिलाने सेबेटियों को आगे बढ़ाने सेना समान दर्जा देते होऔर भेदभाव भी तो करते होबेटों को पढ़ने भेजाबेटी की शिक्षा से इनकारबेटों के जन्म पर जश्न मनाबेटी को कोख़ में दिया मारलड़कियों को कमतर कहने वालोंसोच तुम्हारी है लाचारहर क्षेत्र शक्ति पर नज़र घुमा लो,लडकियाँ कर रही हर तरफ़ कमालअब समझो, […]